अलसी
आज अलसी की महिमा बखान करती ये कविता
कही से मिली हैं तो सोचा आप सब से शेयर करू।
तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय.
नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय.
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये..
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी.
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी..
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय.
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय..
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी.
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी..
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय.
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय..